ऊष्ट्रासन योग आसन By DrNaveen Pandey

ऊष्ट्रासन योग आसन By DrNaveen Pandey

●ऊष्ट्रासन योग आसन
ऊष्ट्रासन योग आसन (Ustrasana Yoga) – “ऊष्ट्र” का अर्थ होता है ऊँट। इस मुद्रा में शरीर एक ऊँट का आकार ले लेता है, इसलिये इसका नाम पड़ा है।
●तकनीक
जमीन पर घुटनों के बल आ जायें। अपने जाँघों और पंजो को एक साथ रखें, पंजे पीछे की तरफ रहे और जमीन पर टिकाये रहें।
घुटनों और पंजों को एक फुट की दूरी पर चैड़ा करें और घुटनों पर खड़े हो जायें।
साँस लेते समय पीठ पीछे झुकायें। पीछे झुकते समय गर्दन को अ़चकाये नहीं।
साँस छोड़ते हुए दाहिने हथेली को दाहिने एड़ी पर रखें और बायें हथेली को बायें एड़ी पर।
अन्तिम स्थिति में, जाँघ फर्श पर लम्बवत होना चाहिये और सिर पीछे की तरफ झुके रहेगा।
इस आसन का अभ्यास सर्वांगासन के बाद विपरीत मुद्रा के रूप में सर्वांगासन के लाभ को बढ़ाने के लिये किया जाता है।
●लाभ
ऊष्ट्रासन दृष्टिदोष में बहुत लाभकारी है।
यह पीठ दर्द और गर्दन के दर्द में बहुत लाभकारी है।
यह पेट के वसा को कम करने में मदद करता है।
यह पाचन प्रणाली की समस्या में उपयोगी है।
सावधानी
उच्च रक्त चाप, हृदय की बीमारी, हार्निया के मरीज को ये आसन नहीं करना चाहिये।

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